आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
इतना ही फर्क पड़ता है, बड़े होने के बाद, पहले आती थी, अब लानी होती है चेहरे पर हँसी।
Post a Comment
No comments:
Post a Comment