Friday, July 27, 2018

हम

ग़ज़लों का हुनर साकी को सिखायेंगे,
रोएंगे मगर आँसू नहीं आयेंगे;
कह देना समंदर से हम ओस के मोती हैं,
दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आयेंगे​​।

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