आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
रात आती है , रात जाती है, बात आती है , बात जाती है। मैं किसी भी क्षण नहीं जी पाता, ज़िंदगी यूँ ही बीत जाती है ॥
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