आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है!
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