Saturday, September 1, 2018

अल्फाज दिल से निकलते हैं

राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता।
अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं रखता।।

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