आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
नींद उड़ा कर मेरी कहते है वो, कि सो जाओ, कल बात करेंगे, अब वो ही हमें समझाए, कि कल तक हम, क्या करेंगें।।
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