Friday, September 21, 2018

आँधियों पे भारी

उड़ान वालों उड़ानों पे वक़्त भारी है,
परों की अब के नहीं हौसलों की बारी है।
मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ,
मुझे बचाना समंदर की ज़िम्मेदारी है।
कोई बताये ये उसके ग़ुरूर-ए-बेजा को,
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है,
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
ये एक चिराग़ कई आँधियों पे भारी है।

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