आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
ऐसा नहीं की जिंदगी में, कोई आरजू ही नहीं। पर वो ख्वाब पूरा कैसे करूँ, जिसमें तू ही नहीं!
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