कभी संभले तो कभी बिखरते आये हम,
जिंदगी के हर मोड़ पर खुद में सिमटते आये हम,
यूँ तो जमाना कभी खरीद नहीं सका हमें;
मगर प्यार के दो लफ्जो में सदा बिकते आये हम।।
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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