Friday, August 31, 2018

सफ़र शायरी


  1. एक सफ़र वो है जिस में,
पाँव नहीं दिल दुखता है!

 

  1. ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!

 

  1. इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई,
हम सोए रात थक कर सो गई!

 

  1. हो जायेगा सफ़र आसां आओ,
साथ चलकर देखें,

कुछ तुम बदलकर देखो  कुछ,

हम बदलकर देखें!

 

  1. मंज़िलों को हम रहगुज़र को देखते हैं,
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं!

 

  1. आए ठहरे और रवाना हो गए,
ज़िंदगी क्या है, सफ़र की बात है!

 

  1. सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह--शौक़ में,
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही!

 

  1. तुमसे ना कट सके गा अंधेरों का ये सफ़र,
कि अब शाम हो रही है ,मेरा हाथ थाम लो!

 

  1. मुसीबतें लाख आएंगी जिंदगी की राहों में,
रखना तू सबर,

मिल जाएगी तुझे मंजिल इक दिन

बस जारी रखना तू सफ़र!

 

10. इन अजनबी सी राहों में, जो तू मेरा हमसफ़र हो जाये,

बीत जाए पल भर में ये वक़्त, और हसीन सफ़र हो जाये.

 

  1. सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ,
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली!

 

12. मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहा,

ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा!

किसी को निकलते ही मिल गई मंज़िल,

कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा!!

 

13. आज फिर से उसकी यादों में खो गया मैं,

पूछा जो मुझसे किसी ने मुहब्बत का सफ़र कैसा था!

 

14. अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में,

लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं!
 
 

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