_ख्वाईश से नहीं गिरते फूल झोली में,_
_वक़्त की शाख को मेरे दोस्त हिलाना होगा।_
_कुछ नहीं होगा अंधेरों को बुरा कहने से,_
_अपने हिस्से का दीया खुद ही जलाना होगा।।_
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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