आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मैंने गीता कुरान को कभी लड़ते नहीं देखा! जो इनके लिए लड़ते हैं, उन्हें कभी पढ़ते नहीं देखा!
~ अज्ञात
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