आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मिल जाता है दो पल का सुकून, बंद आंखों की बंदगी में! वरना परेशान कौन नहीं, अपनी-अपनी जिन्दगी में!
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