आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जबसे देखा है वो एक चेहरा , तब से हम घायल हो गए , हुई है जबसे मोहब्बत, हम शायर हो गए!
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