Thursday, September 12, 2019

महताब, जागता हूँ, ख्वाब

हर एक रात को माहताब देखने के लिए,
मैं जागता हूँ, तेरा ख्वाब देखने के लिए!

न जाने शहर में किस किस से झूट बोलूँगा
मैं घर के फूलों को शादाब देखने के लिए

इसी लिए मैं किसी और का न हो जाऊँ
मुझे वो दे गया इक ख़्वाब देखने के लिए

har ek raat ko mahtaab dekhne ke liye,
main jaagta hun tera khwab dekhne ke liye!

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