Sunday, September 1, 2019

तरस, खिली धूप, बंधन, उकसाता

तरस रहा है मन, फूलों की नई गंध, पाने को,
खिली धूप में, खुली हवा में, गाने मुस्काने को!
तुम अपने जिस तिमिरपाश में मुझको क़ैद किए हो,
वह बंधन ही, उकसाता है बाहर आ जाने को।

~ दुष्यंत कुमार

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