Monday, September 23, 2019

हसीं ख़्वाब सजाए रक्खो

अपनी आँखों में हसीं ख़्वाब सजाए रक्खो
लाख तूफ़ान उठें शमा जलाए रक्खो!

मेरी आँखों में रतजगा शब का,
तुम सहर के जानिब मुझको जगाये रक्खो!

नाचीज़ को यूँही दिल में बसाए रक्खो!
हमें अपने सीने से लगाए रक्खो!

देती है हौसला मुश्किलों से जीतने का
सीने में है जो आग उसे जलाए रक्खो!

होंठो पर हँसी आंखों में ख़्वाब सजाये रखो..
दिल मे लाख दर्द हो फिर भी छिपाये रखो..

मेरी आँखों में रतजगा शब का
तुम सहर के जानिब मुझको जगाये रक्खो

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