आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दुनिया के सारे ग़म, मेरे नाम न किया कर, ऐ रात सोने दे, यूँ तंग न किया कर!
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