अगर निसाब के बाहर का मैं सवाल नहीं!
तो तेरा फ़र्ज़ ये बनता है मुझको टाल नहीं!
मुझे मलाल है इसका तुझे मलाल हुआ,
मुझे तबाह किया इसका कुछ मलाल नहीं?
सुनाऊँ हाल-ए-शिकस्ता किसे गले लगकर,
तमाम शहर में कोई भी हम-ख़याल नहीं!
अलग हुए थे समय के भँवर में फँसकर हम,
सो वक़्त याद रहा दिन महीने साल नहीं!
तुम्हारा साथ नहीं जन्मदिन के मौके पर,
हमारे गाल पे होली के दिन गुलाल नहीं!
Aks Samastipuri
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