Tuesday, August 4, 2020

रक्षा बंधन शायरी

या रब मिरी दुआओं में इतना असर रहे
फूलों भरा सदा मिरी बहना का घर रहे
अज्ञात

याद आई जब मुझे 'फ़रहत' से छोटी थी बहन
मेरे दुश्मन की बहन ने मुझ को राखी बाँध दी
एहसान साक़िब



ज़िंदगी भर की हिफ़ाज़त की क़सम खाते हुए
भाई के हाथ पे इक बहन ने राखी बांधी
अज्ञात

किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बांधेगा
अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेगा
मुनव्वर राना


बहनों की मोहब्बत की है अज़्मत की अलामत
राखी का है त्यौहार मोहब्बत की अलामत
मुस्तफ़ा अकबर

बहन का प्यार जुदाई से कम नहीं होता
अगर वो दूर भी जाए तो ग़म नहीं होता
अज्ञात


No comments: