ऐ मोहब्बत तुझे हम दूर से ही पहचान लेते हैं
दिल मेरा घबराता है, जब तन्हा रातों में
तेरी यादों की दीपमाला हम सजा लेते हैं
कहती है जिसे कामयाबी, ये दुनिया
उसकी कीमत का हर रोज हम इम्तिहान देते हैं
मेरी निगाहें हर रोज तुझसे वादा करती हैं
तेरी आंखो में हर रोज हम अपना नाम ढूंढते हैं
जब भी तेरी सूरत हमें याद आती है
तेरी सीरत को याद कर के दिल थाम लेते हैं
अश्क इन पलकों पे हर रोज छलक उठते हैं
बीते पलों का जब हम हिसाब करते है
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