Saturday, August 29, 2020

साथ शायरी

वक़्त के साथ साथ चलना तुम
इक जगह तो न बैठ के रहियो
- वक़ास बलूच


तेज़ी से बीतते हुए लम्हों के साथ साथ
जीने का इक अज़ाब लिए भागते रहे
- आशुफ़्ता चंगेज़ी



वो ख़ुश किसी के साथ हैं ना-ख़ुश किसी के साथ
हर आदमी की बात है हर आदमी के साथ
- रसा रामपुरी


शाख़ से गिर कर हवा के साथ साथ
किस तरफ़ ये ज़र्द पत्ता जाएगा
- महफूजुर्रहमान आदिल


ये आरज़ू थी कि हम उस के साथ साथ चलें
मगर वो शख़्स तो रस्ता बदलता जाता है
- नोशी गिलानी


जो हर क़दम पे मिरे साथ साथ रहता था
ज़रूर कोई न कोई तो वास्ता होगा
- आशुफ़्ता चंगेज़ी

साथ होने के यक़ीं में भी मिरे साथ हो तुम
और न होने के भी इम्कान में रक्खा है तुम्हें
- तारिक़ क़मर


रहती है साथ साथ कोई ख़ुश-गवार याद
तुझ से बिछड़ के तेरी रिफ़ाक़त गई नहीं
- ख़ालिद इक़बाल यासिर

रिश्ता रहा अजीब मिरा ज़िंदगी के साथ
चलता हो जैसे कोई किसी अजनबी के साथ
- सय्यद शकील दस्नवी


दुनिया बदल रही है ज़माने के साथ साथ
अब रोज़ रोज़ देखने वाला कहां से लाएं
- इफ़्तिख़ार आरिफ़

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