समेटना है अभी हर्फ़ हर्फ़ हुस्न तिरा,
ग़ज़ल को अपनी तिरा आईना बनाना है!
सुकूत-ए-शाम-ए-अलम तू ही कुछ बता कि तुझे,
कहाँ पे ख़्वाब कहाँ रतजगा बनाना है!
आंखें में पढ़ो, और जानो, 'मेरी' रज़ा क्या है,
हर बात लफ़्ज़ों से बयान हो, तो मज़ा क्या है!
माना की आसाँ नहीं,
इश्क़ तुम से बेपनाह करना!
तुम अच्छे लगे तो ठान लिया,
खुद को तबाह करना!!
नज़र की राह में यूँ तो कई नज़ारे हैं,
तुम्हीं पे जा के जो ठहरे नज़र तो क्या कीजे.
हज़ार बार कहा है कि ‘प्यार है तुमसे’
जो तुम पे होता नहीं है असर तो क्या कीजे.
आग के पास कभी, मोम को लाकर देखूं,
हो इजाजत तो तुम्हें, हाथ लगा कर देखूँ।
दिल का मंदिर, बड़ा वीरान नज़र आता है,
सोचता हूँ इसमें तेरी तस्वीर लगा कर देखूँ।।
-राहत इंदौरी
राज जो कुछ हो, इशारों में बता भी देना,
हाथ जब मुझसे मिलाना दबा भी देना।
कभी दिमाग, कभी दिल, कभी नज़र में रहो,
ये सब तुम्हारे ही घर हैं, किसी भी घर में रहो।
-राहत इंडोरी
मिल रही हो तुम,
न खो रही हो तुम,
दिन ब दिन बेहद,
दिलचस्प हो रही हो तुम!
पहली नज़र भी आप की उफ़ किस बला की थी
हम आज तक वो चोट हैं दिल पर लिए हुए
यूं अदाएं न बिखेरिए मौसम-ए-बहार में,
सूखे दरख़्त भी खिल उठेंगे हुस्न-ए-बयार में!
मौसम-ए-इश्क़ है ये जरा,
खुश्क हो जाएगा!
ना उलझा करो हम से,
वरना इश्क़ हो जाएगा!
तेरे इश्क़ से ही मिली है मेरे वजूद को ये शोहरत,
मेरा ज़िक्र ही कहाँ था तेरी दास्ताँ से पहले ..!!
बस एक झिझक है हाल-ए-दिल सुनाने में,
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में !!
जागती रातो को,
सपनो का बहाना मिल जाए!
तुम जो मिल जाओ तो,
जीने का बहाना मिल जाए!
अच्छा खासा बैठे बैठे, गुम हो जाता हूँ,
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता, तुम हो जाता हूँ!
मेरे हिस्से में बस इतना गुमान रहने दे,
कि मैं हूँ तेरा मुझे अपनी जान रहने दे!
कभी देखेंगे ऐ जाम तुझे होठों से लगाकर,
तू मुझमें उतरता है कि मैं तुझमें उतरता हूँ।
ज़िंदगी गमों का पुलिंदा है,
ख़ुशियाँ आज कल चुनिंदा है,
कभी याद कर लिया करो इस नाचीज़ को,
ये शख्स अभी तक ज़िंदा है!
लोग कहते हैं कि प्यार में नींद उड़ जाती है,
कोई हमसे इश्क़ करता, कम्बख्त नींद बहुत आती है!
तेरे पंखुड़िओ जैसे होठों की नमी को चुरा लूँ,
तेरी ज़ुल्फों की साए में खुद को छुपा लूँ!
तेरे बदन की खुशबू में बस अब नहा लूँ,
गर फिर भी चैन ना आये, तो ये सब दुहरा लूँ!!
कोई मरहम नहीं चाहिए,
ज़ख्म मिटाने के लिए।
तेरी एक झलक ही काफ़ी है,
मेरे ठीक हो जाने के लिए!
देख कर मेरी/मेरी आँखें,
एक फकीर कहने लगा.
पलकें तुम्हारी नाज़ुक है,
ख्वाबों का वज़न कम कीजिये!
खूबसूरत गज़ल जैसा है तेरा चाँद सा चेहरा,
निगाहे शेर पढ़ती हैं जो लब इरशाद करते है।
मिलती जुलती मेरी ग़ज़लों से है सूरत तेरी,
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे!
मिलो कभी चाय पर, फिर किस्से बुनेंगे,
तुम खामोशी से कहना हम चुपके से सुनेंगे!
खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर।
काम ले कुछ हसीन होंठो से,
बातों-बातों मे मुस्कुराया कर।।
वो बचपन के दिन थे,
ये जवानी की बयार।
पहले भी रुख पे तेरे तिल था,
मगर कातिल न था!
तेरे जुल्फों की आवारा लट जब गालों को चूमती है,
अंधेरे से उजाले का मिलन देख ज़मीं झूमती है!
हुस्न तेरा एक छलकता जाम है,
मेरा सब कुछ तुम्हारे नाम है!!
जब जब तेरा दीद हुआ है,
अपना तो ईद हुआ है।
जब जब तेरा दीदार हुआ है,
अपना तो त्योहार हुआ है।।
छेड़ आती हैं कभी लब तो कभी रूखसारों को,
तुमने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पर चढा रखा है ।
काश तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता।
लोग तुम्हे दूर से देखते,
नज़दीक़ से देखने का, हक़ बस हमारा होता।।
कभी साथ बैठो, तो कहूँ कि दर्द क्या है?
अब यूँ दूर से पूछोगे, तो ख़ैरियत ही कहेंगे!
मेरे दिल पे हाथ रखो,
जरा सा जुनून दो।
उदास हूँ बहुत दिनों से,
मेरे दिल को सुकून दो!
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तेरा हुस्न भी दौलत है,
तेरा इश्क भी दौलत है!
और जो कुछ भी मेरी दौलत है,
सब तेरी बदौलत है!!
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ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा
इस रात की तक़दीर संवर जाए तो अच्छा
जिस तरह से थोड़ी सी तिरे साथ कटी है
बाक़ी भी उसी तरह गुज़र जाए तो अच्छा
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