Saturday, April 8, 2023

वो खफा है तो कोई बात नहीं

वो खफा है तो कोई बात नहीं

इश्क मोहताज-ए-इल्त्फाक नहीं

दिल बुझा हो अगर तो दिन भी है रात नहीं
दिन हो रोशन तो रात रात नहीं

दिल-ए-साकी मैं तोड़ू-ए-वाइल
जा मुझे ख्वाइश-ए-नजात नहीं
 

ऐसी भूली है कायनात मुझे
जैसे मैं जिस्ब-ए-कायनात नहीं
 

पीर की बस्ती जा रही है मगर
सबको ये वहम है कि रात नहीं
 

मेरे लायक नहीं हयात "ख़ुमार"
और मैं लायक-ए-हयात नहीं

ख़ुमार बाराबंकवी

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