Monday, April 10, 2023

सहरा शायरी

मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी

तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
- सुल्तान अख़्तर 


हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने को
कितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को
- उस्मानी 

हमें रंजिश नहीं दरिया से कोई
सलामत गर रहे सहरा हमारा
- सिराज फ़ैसल ख़ान 

 

राब्ता क्यूँ रखूँ मैं दरिया से
प्यास बुझती है मेरी सहरा से
- ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

मैं था जब कारवाँ के साथ तो गुलज़ार थी दुनिया
मगर तन्हा हुआ तो हर तरफ़ सहरा ही सहरा था
- मनीश शुक्ला 


मेरे माथे पे उभर आते थे वहशत के नुक़ूश
मेरी मिट्टी किसी सहरा से उठाई गई थी
- क़मर अब्बास क़मर 

बाग़ में लगता नहीं सहरा से घबराता है दिल
अब कहाँ ले जा के बैठें ऐसे दीवाने को हम
- नज़ीर अकबराबादी 


हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे
किस को सैराब करे वो किसे प्यासा रक्खे
- अहमद फ़राज़ 


भड़काएँ मिरी प्यास को अक्सर तिरी आँखें
सहरा मिरा चेहरा है समुंदर तिरी आँखें
- मोहसिन नक़वी 


है अजब फ़ैसले का सहरा भी
चल न पड़िए तो पाँव जलते हैं
- जौन एलिया 

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