Saturday, April 8, 2023

तू चली गई... तेरी यादें पड़ी है..

तू चली गई... तेरी यादें पड़ी है


शाख पर, पत्तो पर 
कागज के पन्नों पर 
आंखों की पलकों पर 
मासूमियत शक्लों पर 
निहारती, देखती 
छुप जाती , 
कभी टपकती, शिसकती 
ओस की बूंदों सी 
चमकती खड़ी हैं.. 
तू चली गई... तेरी यादें पड़ी है..! 

दीवारों पर रेखा खींचती 
मन बहलाती हवाओं को सींचती 
फिजा में रंग घोलती 
सहम कर दिवाले बोलती 
पायल की छम- छम 
झुमके की झुन-झुन 
चूड़ियों की खनन अंधेरे में टोकती 
टटोलती , बाद्य यंत्रों में जड़ी हैं.... 
तू चली गई... तेरी यादें पड़ी है..! 

सूने में खनकती, चांदनी में घुलती 
किरणों संग रेगती, 
असमान से उतरती, बाहों में भरती 
तन्हाइयों से लड़ती है.. 
तू चली गई... तेरी यादें पड़ी है..! 

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