Monday, April 10, 2023

चलता रहा मैं बस इस उम्मीद में

चलता रहा - चलता रहा मैं बस इस उम्मीद में।

हमसफ़र कोई मिल जाएगा मुझे कभी न कभी।। 

ग़म- ए- ज़ीस्त से कभी घबराया नहीं मैं 'दोस्त'। 
यकीं है इस रात की सहर होगी कभी न कभी।। 

अंधेरा है सब और मगर मेरे दिल में रोशनी है। 
शम - ए - उम्मीद भी रोशन होगी कभी न कभी।। 

वादा करना और कर के तोड़ना फितरत है तेरी। 
बा-उम्मीद हूं वादा-ए-वफ़ा निभाएगा कभी न कभी।।


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