चलता रहा - चलता रहा मैं बस इस उम्मीद में।
हमसफ़र कोई मिल जाएगा मुझे कभी न कभी।।
ग़म- ए- ज़ीस्त से कभी घबराया नहीं मैं 'दोस्त'।
यकीं है इस रात की सहर होगी कभी न कभी।।
अंधेरा है सब और मगर मेरे दिल में रोशनी है।
शम - ए - उम्मीद भी रोशन होगी कभी न कभी।।
वादा करना और कर के तोड़ना फितरत है तेरी।
बा-उम्मीद हूं वादा-ए-वफ़ा निभाएगा कभी न कभी।।
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