उसकी आंखों में मैंने सारे समंदर देखे
दर्द देखे थे मगर जख्म नहीं अंदर देखे
वो कराहती थी तो दर्द उम्र का कह टाला था,
सुना, उसकी आंतों में कैंसर का एक जाला था
मगर वो जा चुकी थी जब तक मुझको खबर हुई
उसकी सांसे तो चली मगर न कभी कदर हुई |
वो कहती थी किस्से, घुटती , और मुस्कराती थी
बच्चों पर जान छिड़कती थी ,घर बुलाती थी ||
रूठ जाती थी, जो न जाते एक फोन पर हम,
उसे सब चाहिए थे, वो किसी को, नहीं चाहिए थी
मुझसे भी रूठ कर बैठी थी ,मगर मैने न ध्यान दिया
ये नौकरी ने मनाने का, एक मौका तक न दिया |
गुस्सा इतना थी कि मिलने तक को भी न रुकी,
मेरी मां की मां ने मुझे ये मेरा हिस्सा भी न दिया |
कोई आसमा का रास्ता मुझको बतला दो,
मेरी नानी के घर में ,नानी को मेरी पहुंचा दो|
तुमने जो चाहा, वो सब कर, मुझे दिखाना था
मुझे देरी हुई पर तुमको तो रुक जाना था ||
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