आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
तूफान को शोर मचाने दो
घटा को घिरकर छाने दो ये तो वक्त का है माजरा अपना भी वक्त आने दो बिखरो ना तुम टूट कर शीशे की तरह फूट कर होड़ लगाकर मौत से तुम जीवन को नए बहाने दो
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