बस आखिरी बार
कुछ इस तरह मिल जाना..
नजरों को झलक दिखाकर
तन्हाइयों का गहरा ज़ख्म सील जाना...
मुझको खुद में रख लेना या तुम
मुझमे रह जाना...
बात कुछ चुभे भी तो सह जाना..
हंस कर कालियो सा खिल जाना..
बस आखिरी बार कुछ
इस तरह मिल जाना............
सजोए हैं कितनी मुद्दत से
आशा के आसूं...
पलक से गिरकर मोती सा बन जाना...
दूर जाकर भी एहसासों मंजर
रख जाना....
मुस्कुराकर ये दिल समंदर सा
भर जाना...
बस आखिरी बार
कुछ इस तरह मिल जाना..
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