Friday, March 31, 2023

हम रुह में उतरने को मोहब्बत कहते हैं


वो जिस्म के छूने को मोहब्बत कहते हैं
और हम रुह में उतरने को मोहब्बत कहते हैं 

वो दिलबर को बाहों में भरने को राहत कहते हैं 
और हम तो उनके दिदार को ही राहत कहते हैं 

बेचैनियां तो जिस्म के मिलते ही खत्म हो जाएगी 
तसव्वुर में भी जो सुकून दे हम उसको चाहत कहते हैं 

अब तो इबादत के लिए खुदा भी नहीं चाहिए 
उनकी यादों में खोए रहने को हम इबादत कहते है। 

चलते हुए राह में वो गर ग़लती से भी देख लें तो 
हम अपनी जिंदगी में उसको ही इनायत कहते हैं।

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