अपने खुबसूरत सपनों को
सच करने की कोशिश में हूं
मंजिलें हैं आकाश से ऊंची
सर करने की कोशिश में हूं
माना कि , कुछ घाव नहीं भरते
मगर भरने की कोशिश में हूं
बहुत कुछ बना रहें हैं लोग
मैं,इंसान बन रहने की कोशिश में हूं।।
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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