जमी है जो बर्फ पिघलना बाकी है
जमीं से आसमां का मिलना बाकी है
अभी अभी तो थूका है गुस्सा उसने
अभी तो सीने से लिपटना बाकी है
कल तो उठा रखा था आसमां सर पे
अभी तो बाहों में सिमटना बाकी है
लाया हूं गजरा उसके जूड़े के लिए
रात को चमेली महकना बाकी है
लेके शिकायत उन होठों पे हजार
अभी तो लबों का लरजना बाकी है
इतनी आसानी से ना मानेंगे वो
अभी तो हमारा तरसना बाकी है
करके वार तेरे सीने पे सागर
अभी तो उसका सिसकना बाकी है
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