Thursday, March 16, 2023

अभी तो लबों का लरजना बाकी है

जमी है जो बर्फ पिघलना बाकी है

जमीं से आसमां का मिलना बाकी है 

अभी अभी तो थूका है गुस्सा उसने 
अभी तो सीने से लिपटना बाकी है 

कल तो उठा रखा था आसमां सर पे 
अभी तो बाहों में सिमटना बाकी है 

लाया हूं गजरा उसके जूड़े के लिए 
रात को चमेली महकना बाकी है 

लेके शिकायत उन होठों पे हजार 
अभी तो लबों का लरजना बाकी है 

इतनी आसानी से ना मानेंगे वो 
अभी तो हमारा तरसना बाकी है 

करके वार तेरे सीने पे सागर 
अभी तो उसका सिसकना बाकी है 

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