प्रेम में कोई गिला नहीं न कोई शिकवा शिकायत है,
ये दो दिलों को खुदा की नेमत से मिली ईनायत है।
अगर कोई जान पाए इसको खुदा की इबारत है,
जो समझे तो जाने वरना ताजमहल भी इमारत है ।।
चले जब प्रेम का तीर दिल चीर के रख देता है,
यूं ही नहीं कोई सब खोकर प्रेम का फकीर होता है।
है दो दिलों का गजब मेल तभी कोई अकेला रोता है,
दिन भर का थका हारा अपनों की खातिर भूखा सोता है।।
प्रेम की प्यास बुझाए बुझती नहीं तपन बढ़ती जाती है,
जमाने में हो जोर बारिश फिर भी गर्मी नजर आती है ।
मिले जब हमराही ज्येष्ठ में सावन की फुहार नजर आती है,
मझधार में डूबती नैया भी बिना केवट पार नजर आती है
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