Tuesday, March 28, 2023

गजल शायरी

मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा

सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
- कृष्ण बिहारी नूर 


कभी लफ़्ज़ों से ग़द्दारी न करना
ग़ज़ल पढ़ना अदाकारी न करना
- वसीम बरेलवी  

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है
- राहत इंदौरी 

ग़ज़ल उस ने छेड़ी मुझे साज़ देना
ज़रा उम्र-ए-रफ़्ता को आवाज़ देना
- सफ़ी लखनवी 

ग़ज़ल का शेर तो होता है बस किसी के लिए
मगर सितम है कि सब को सुनाना पड़ता है
- अज़हर इनायती 


अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
'फ़राज़' अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं
- अहमद फ़राज़ 

मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती गईं
शेर कहती हुई आँखें उस की
- परवीन शाकिर 


हम से पूछो कि ग़ज़ल क्या है ग़ज़ल का फ़न क्या
चंद लफ़्ज़ों में कोई आग छुपा दी जाए
- जाँ निसार अख़्तर 

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो
- बशीर बद्र 


कुछ तो पढ़िए कि लोग कहते हैं
आज 'ग़ालिब' ग़ज़ल-सरा न हुआ
- मिर्ज़ा ग़ालिब 

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