Friday, March 10, 2023

मिजाज शायरी

दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे

जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे
- दाग़ देहलवी 

कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो
- बशीर बद्र 

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
कितना आसान था इलाज मिरा
- फ़हमी बदायूनी 


हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ
आख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई
- जौन एलिया 

कल तक तो आश्ना थे मगर आज ग़ैर हो
दो दिन में ये मिज़ाज है आगे की ख़ैर हो
- दाग़ देहलवी 


आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाज
उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए
- एहसान दानिश

कुछ इस अदा से आप ने पूछा मिरा मिज़ाज
कहना पड़ा कि शुक्र है परवरदिगार का
- जलील मानिकपुरी 


हम से पूछो मिज़ाज बारिश का
हम जो कच्चे मकान वाले हैं
- अशफ़ाक़ अंजुम 

बदलते वक़्त ने बदले मिज़ाज भी कैसे
तिरी अदा भी गई मेरा बाँकपन भी गया
- फ़हीम शनास काज़मी 


चुप रहो क्यूँ मिज़ाज पूछते हो
हम जिएँ या मरें तुम्हें क्या है
- लाला माधव राम जौहर 

कोई बात ख़्वाब-ओ-ख़याल की जो करो तो वक़्त कटेगा अब
हमें मौसमों के मिज़ाज पर कोई ए'तिबार कहाँ रहा
- अदा जाफ़री 


आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाज
उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए
- एहसान दानिश

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