ठान लेने से भला क्या नहीं होता
वह भी होता है जो न मंजूरे खुदा होता है।
कौन सोचा था चाँद तारों पर कोई जा भी पायेगा।
कौन सोंचा होगा दूरी तारों की भी कोई लगा पायेगा।
पृथ्वी चक्कर भी लगाती है भला कौन बतला पायेगा ।
ठान लिया तो सब हो गया ।
दूर कितना भी रहो, पास ही दिखोगे रूबरू।
कोई जादू नहीं सच है ये
बातें भी करोगे रूबरू ।
हृदय निकाल कर सच मे रख देते हैं।
कटे अंग भी जोड़ दिए जाते हैं।
पुराणों की कही एक एक बात सच साबित हुई है ।
बस ठान जो लिया।
वक़्त को बांध भी लेंगे।
कल को कैद कर लेंगे ।
जीवन अमर हो जाएगा ।
जीवन होगा, उमर खत्म हो जाएगी ।
जीवन होगा, उमर खत्म हो जाएगी ।
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