Thursday, January 2, 2020

अब डेरे मंज़िल ही पे डाले जाएँगे!

अब टूट गिरेंगी ज़ंजीरें अब ज़िंदानों की ख़ैर नहीं, 
जो दरिया झूम के उट्ठे हैं तिनकों से न टाले जाएँगे! 

कटते भी चलो, बढ़ते भी चलो, बाज़ू भी बहुत हैं सर भी बहुत, 
चलते भी चलो कि अब डेरे मंज़िल ही पे डाले जाएँगे! 

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