Sunday, January 5, 2020

बरस जाओ कि राख हो जाऊँ ये शैलाब मिटे

तुम ज़रा मुस्कुराओ कि मेरे ग़म का कुहरा मिटे, 
बरस जाओ कि राख हो जाऊँ ये शैलाब मिटे! 

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