She
gave me sadness and the gift of pain,
A
new moon madness and a lot to rain.
तुम्हें
पाया तो ऐहसास हुआ कि दोस्ती क्या चीज है,
तुम्हें
पाया तो ऐहसास हुआ कि दिल्लगी क्या चीज है,
जब
तुम साथ चले तो ऐहसास हुआ कि जिंदगी क्या चीज है,
जो
तुझसे बिछड़ गया तो ऐहसास हुआ कि तनहाई क्या चीज है।
तेरे
यादों के ख्यालों कि खुशबू मेरे पास है,
आज
फिर तेरे जैसे साथी कि मुझको आस है,
खुशियाँ
खरीदने वाले इंसान तो बहुत मिलेंगे,
मगर
जो गम खरीदे मुझे उसकी तलाश है।
ये
तेरे आने कि महक जो महफिल में आई है,
हरेक
ने देखा कि शमा कि लौ डगमगाई है।
बेचैनियां
समेट कर सारे जहां कि खुदा ने,
जब
कुछ न बन सका तो मेरा दिल बना दिया।
आपको
हमें आँखों में बसा रखा है,
आईना
छोड़िए, आईने में क्या रक्खा है।
हर
दिल में है तेरा बसेरा,
तू
पास है और घर दूर तेरा।
चाहे
नयी जमीन हो या नया आसमान हो,
ऐ
दिल चल जहाँ वो जहाँ भी हो,
महबूबा
ऐसी जो कुछ बदगुमा भी हो,
खूबसूरती
ऐसी कि लफ्जों में बयां न हो।
जिंदा
रहूँगा कैसे अपनी जिंदगी को खोकर,
मेरा
जनाजा निकले तो तेरी गली से होकर।
प्यार
का जज़्बा भी क्या ख्वाब दिखा देता है,
अजनबी
चेहरे को महबूब बना देता है।
दिल
के अंदर प्यार कि एक रोशनी बन जाइए,
इस
तरह मिलिये कि मेरी जिंदगी बन जाइए।
नज़र
का सामने सब कुछ, छुपा कुछ भी नहीं तुमसे,
खफा
मुझसे जहाँ सारा, खफा तुम तो नहीं मुझसे।
I miss you every single day,
If it is same with you?
ब्रह्मा ने लिखा भाग्य में मनुज नहीं लाया है,
अपना सुख दुख उसने अपने भुजबल से पाया है,
प्रकृति नहीं दरकार झुकती है कभी भाग्य के बल से,
सदा हारती है वह मनुष्य के उद्धम, श्रम, संबल से।
She was my north, my south, my east and west,
My working week and Sunday rest.
My noon, my midnight, my talk, my song,
I thought that love would last forever, I was wrong.
चमन वो जब भी आए तो फूल मुस्कुरा देना,
सोख डालियों तुम भी अदा से सर झुका देना,
हमारी ही महफिल में, न चाहो
हमको तुम लेकिन,
हमारे हर के मेहमान तो फूलों से सजा देना।
A robin red breast in a cage,
Puts all heaven in a rage.
कि पाया किया जो हमने जाने क्या गुनाह कर लिया,
सिला ये हमारी आँखों को मिला कि अश्कों ने इनसे निकाह कर
लिया।
लज़्ज़त ऐ गम से आशना होकर,
अपने महबूब से जुड़ा होकर,
दिल कहीं जब सुकून न पाएगा,
तुमको एक शख्स याद आएगा।
बेच देता जो मैं उसूलों को,
मेरे घर में भी क्या नहीं होता।
कहने को मेरे साथ चले थे तमाम लोग,
लेकिन सफर में ऐ दोस्त, मैं तन्हा
रहा बहुत।
गम में रोना हमें आया ही नहीं,
जब भी आई, हमें हसीं आई।
हर लम्हा चूमती रहे खुशियाँ तेरे कदम,
भूले से भी न आए तेरी ज़िंदगी में गम।
दिल बदला बदला सा है, काबू में
जज़्बात नहीं,
आपको पाकर होश में रहना, मेरे बस
कि बात नहीं।
कल तुम जुड़ा हुए थे जहां साथ छोडकर,
हम आज तक खड़े हैं, दिल के
उसी मोड पर।
गालों पे हाथ रखे वो बैठे हैं इस तरह,
जैसे किसी ख्याल में खोया हुआ है दिल।
मेरी एक मुस्कुराहट में हजारों गम है शामिल,
मैं अपने गम छुपाने के लिए ही मुसकुराता हूँ।
हमने चाहा ही नहीं खुद को तुम्हारे काबिल,
वरना चाहा था तुम्हें पागलों कि तरह।
हमें क्यों दोष देते हो गुलिस्ताँ की तबाही का,
चमन को लौटने वाला चमन का बागवान निकला।
आँखें गजल है तुम्हारी और होठ हैं गुलाब,
सारे जहां में आपका कोई नहीं जबाब।
बेनूर हो गयी थी मेरे दिल की अंजुमन,
एक रंग सा भर गया है तुझे देखने के बाद।
मेरी हर खुशी परेशान मेरी हर निगाह प्यासी,
कभी काश तू भी देखे, मेरा गम
मेरी उदासी।
आँखों को इंतज़ार के लम्हात सौपकर,
नींद भी कोई ले गया, अपने सफर
के साथ।
हुस्न वालों से कभी आँख मिलाया न करो,
जान प्यारी है तो यूं सामने आया न करो।
आप कहते हैं कि अपनों से छुपा लूँ चेहरा,
दिल तो गैरों से भी नफरत नहीं करने देता।
सितारे मांग में लब पे तबस्सुम चाँद सा चेहरा,
ये कौन आता है रातों को मेरे ख्वाबों की महफिल में।
अदा समझूँ हया समझूँ कि इजहार ऐ वफा समझूँ,
तुम्हारी मुस्कुराहट मुझसे पहचानी नहीं जाती।
सरकती जाये है रुख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता,
निकलता आ रहा है माहताब आहिस्ता आहिस्ता।
तेरे रुखसार से हटते हुए आँचल की कसम,
मैंने एक चाँद को बादल से निकलते देखा।
तेरी आँखें है नशीली, ये नशे
में कह गया मैं,
तुझे देखते ही वरना, मुझे होश
ही कहाँ था।
खूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं।
साफ छुपते भी नहीं, सामने आते
भी नहीं।
मुस्कुरा कर जिसको गम का घूँट पीना आ गया,
सही मायनों में दोस्तों, उसको जीना
आ गया।
क्या माँगू खुदा से, तुझसे
माँगता हूँ,
क्या माँगू तुझसे, तुझी को
माँगता हूँ।
जहाँ तू है चाँद को कौन पूछेगा,
तेरा प्यार साथ है, तो जन्नत
को कौन पूछेगा।
दिल्ल के आईने मैं है तस्वीर ए यार,
जब जरा गर्दन झुकाई, देख ली।
सैर कर दुनिया की महफिल, ज़िंदगानी
फिर कहाँ,
अगर ज़िंदगानी रही तो, जवानी फिर
कहाँ।
ख्वाजदा निगाहों में जरा झाँक कर तो देख,
मेरी निगाहों में फख्त तेरी ही तस्वीर होगी।
हर दिल में एक आस होती है,
हर सीने में एक राज होती है,
जरूरी नहीं हर कोई ताजमहल बनाए,
पर हर दिल में एक मुमताज़ होती है।
इश्क़ न होता तो ये अदाएँ न होती,
दर्द ए दिल की दवाएँ न होती,
फिसलता न कोई किसी मोड़ पर,
जालिम जो तेरी ये निगाहें न होती।
हर बात कहके बताई नहीं जाती,
आँखों की बात जुबानी नहीं होती।
बात सदियों की सिमटी तो पल हो गयी,
तुमसे नज़रें मिली तो गजल हो गयी।
मेरी आँखों में चमकते हैं वफा के मोती,
एक नज़र देख इधर, ओ निगाहें
चुराने वाले।
ऐ दोस्त, मेरा चिराग बुझाने चला था क्यों,
मेरा कुछ न बिगड़ा, तेरे हाथ
जल गए।
दूध का दूध करे, पानी का
पानी कर दे,
वक़्त के हाथों में इतना हुनर तो होता है।
है खबर मुझको कि मेरे खून का प्यासा है वो,
चाहता हूँ फिर भी उससे दोस्ती बाकी रहे।
अब यादें रफ्तगा की आती ही नहीं,
यारों ने कितनी दूर बस्ती बसा ली।
इस तरह गुजारे हैं हमने बीते दिनों की याद,
जैसे कि ये दिन हमने गुजारे ही नहीं।
लहरों से दरकार नैया पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों कि कभी हार नहीं होती।
अगर ये ख्वाब न होते, ख्याल न
होते,
फिर न जाने कीमत के मारे हम कहाँ होते।
दिल कभी कभी इस कदर उदास हो जाता है,
कि खुद पर का भी विश्वास खो जाता है।
तू वो चेहरा ही नहीं, जिसे मैं
भुला दूँ,
तू वो दर्श ए जिन्दगी है, जिसे याद
कर लिया है।
हम भी क्या जिन्दगी गुजार गए,
दिल की बाज़ी लगा के हार गए।
मौत से कर हारने वाले थे हम,
बोल तेरी जुबां के मार गए।
तुम्हारे चस्मे करम से गिला नहीं मुझको,
कभी कभी मेरी तकदीर रूठ जाती है मुझसे।
ज़ख्मी हुए जो होंठ तो महसूस ये हुआ,
चूमा था किसी फूल को दीवानगी के साथ।
गर्दिश तो चाहती है तबाही मेरी मगर,
मजबूर है किसी की दुआओं के सामने।
फूलों से कोई रब्त न गुंचों से वास्ता,
मुझको सुकून मिलता है पत्थर के आस पास।
यह कह कह के हम दिल को बहला रहे हैं,
कि वो अब चल चुके हैं, वो अब आ
रहे हैं।
शाम होते ही चिरागों को बुझा देता हूँ,
दिल ही काफी है तेरी आग में जलने के लिए।
दिल के दर्पण में बिंबित, तुम आँखों
में मौन समाई हो,
हर पल हर धड़कन में मेरी, तुम ही
तुम केवल छाई हो।
तेरे करीब रहूँ या कि दूर जाऊँ मैं,
दिल का है एक ही आलम कि तुझी को चाहूँ मैं।
कहीं देखी है शायद तेरी सूरत इससे पहले भी,
कि दिल पे गुजरी है मेरे, ये हालात
इससे पहले भी।
मैंने ये सोच के पुरखों की निशानी बेची,
भूख लगती है तो इज्ज़त नहीं देखी जाती।
फुल से नर्म हमारे भी भी थे तलवे लेकिन,
घर से जब निकले तो चलना पड़ा अंगारों पर।
मेहनत से बना लेते हैं तकदीर हम अपनी,
हाथों की लकीरों पे भरोसा नहीं करते।
फूलों से अच्छे काटें है, जो बढ़कर
दामन थाम लेते हैं।
दोस्तों से अच्छे तो दुश्मन है, जो
दुश्मनी में हमारा नाम लेते हैं।
झील सी गहरी आँखें होंठ भी उसके गुलाब हैं,
काली घटा सी जुल्फें वो खुद भी लाजबाब है।
दुनिया के रिश्तों में मैं तेरा कुछ भी नहीं।
झाँक के दिल के आईने में देख, कहीं मैं
सबसे ऊपर तो नहीं।
तुझको खुश करने में हमने जाने कितने दर्द सहे।
कहने को तो कह सकते थे, लेकिन हम
खामोश रहे।
तोड़कर खामोशियों को मुसकुराना सीखिये,
लुत्फ कितना इश्क़ में है, दिल लगाकर
देखिये।
ये झुकी झुकी निगाहें, ये दबा
दबा तबस्सुम,
मुझे इस तरह न देखो, कहीं
प्यार न हो जाये।
किसी के दिल की बेचैनी, किसी के
दिल की बेताबी,
वही महसूस करता है जो खुद बेताब होता है।
जिसका घर बचाया था मैंने, कभी जलने
से,
मेरे घर में था वही आग लगाने वाला।
लोग वैसे ही मेरे जिक्र मेरे नाम से जल जाते हैं,
मेज पर क्यों मेरी तस्वीर सजा दी तूने।
याद आती है अक्सर रोते हैं बेबसी में,
एक बेवफा को चाहा था हमने ज़िन्दगी में।
जहां कहीं भी दीपशिखा मुसकुराती है,
परवानों की भीड़ मचलती आती है।
क्या आँखें, क्या चेहरा, क्या खूबसूरती पायी है,
लगता है पीपल के पेड़ से जैसे, भूतनी
उतरकर आई है।
अब कोई आस नहीं,
मेरे कोई पास नहीं।
ज़िन्दगी अगर मौज भी हो,
फिर भी मुझे रास नहीं।
जाने किसका जिक्र है इस अफसाने में,
दर्द मजे लेता है जो दोहराने में।
दिल भी जिद पे अड़ा है किसी बच्चे की तरह,
या तो सब कुछ इसे चाहिए या कुछ भी नहीं।
याद है तो आबाद है,
भूल गए तो बर्बाद है।
बस इतनी सी अर्ज है, अपनी
बेदर्द आसमां से,
घबरा गया है अब तो दिल, कह दे
इम्तेहान से।
संगमरमर से तराशा हुआ ये शबाब बदन,
इसे अपनाने को जी चाहता है।
सुर्ख होठों में बसी हुई है वो मादक शराब,
जिसे पीकर बहक जाने को जी चाहता है।
नर्म सीनों में धड़कते हैं वो नाजुक तूफान,
जिनके लहरों में उतार जाने को जी चाहता है।
तुमसे क्या रिश्ता है, ये मालूम
नहीं,
लेकिन इस हुस्न पर मर जाने को जी चाहता है।
हमसे बेहतर तो हैं ये पाजेब जो तुम्हारे पाँव में है,
इस पाजेब में ढाल जाने को जी चाहता है,
रख लो कल के लिए तुम ये रेशमी पाजेब,
कि कल तेरी बज़्म में फिर आने को जी चाहता है।
The height by great men reached and kept,
Were not attained by sudden flight.
But, they while their companions slept,
Were toiling upward in the night.
आना है जाना है ज़िंदगी का यही फसाना है,
जो कुछ रहेगा ज़िंदगी में वो मोहब्बत का अफसाना है।
जब से तुझे भूलने की कसम खाई है,
और पहले से भी ज्यादा तेरी याद आई है।
गर सो सके तो मेरा मुकद्दर बना देना,
तुम्हें ने दर्द दिया है, तुम्ही
दवा देना।
जब भी तन्हाइया होती है,
तेरी यादों से ज़िंदगी में रानाइयाँ होती है।
सतायेंगी हमें क्या गर्दिशें जमाने की,
हमें तो गम में भी आदत है मुस्कुराने की।
एक नज़र तुम्हें/उन्हे देखने की आरजू है,
काश एक लम्हा ज़िंदगी और मेहरबान हो जाती।
कोई मुस्कुराहट पे मर मिटा, कोई पलकों
में खोता चला गया,
ये कैसा हुस्न है जो मुझे मुझसे ही जुदा कर गया।
रोने से इश्क़ में और बेबाक हो गए,
धोये गए इतने कि पाक हो गए।
न तड़पने की इजाज़त है, न फरियाद
की,
घुट के मर जाएँ, ये मर्जी
है मेरे सैयाद की।
इन चिरागों में तेल ही कम था,
क्यों सिला फिर हमें हवा से रहे।
धुआँ धुआँ हो उठे नजारे, शायद आँखें
भर आई है,
सांसें इतनी बोझिल है कि खुद से ही घबराई है,
दिल इतना भारी है, इस पर गम की
बदली छाई है,
काँटें हँसते हैं फूलों पर मौसम भी हरजाई है,
रूठ गया हमदम जो ऐसे रूठी सारी खुदाई है,
मुझे छोड़कर चल दी है जो, वह मेरी ही
परछाई है।
क्या चाँद अपनी चाँदनी को छोड़ पाएगा,
क्या पवित्र बंधन को तुम तोड़ पाओगी,
ख्यालों में तुम, हर ख्वाबों
में तुम,
हर ईद पर तुम मुझे चाँद नज़र आती हो,
मर जाऊंगा तेरी याद में दीवानों की तरह,
क्या अब भी तुम मुझे इस दशा में छोड़ पाओगी।
रातों की नींद को तुमने चुरा लिया,
ये राज सारे जग से हमने छुपा लिया,
दिन भर तुम करीब न आए तो क्या,
रात सपनों में तुम को बुला लिया,
तुम वफा हो, प्यार की मूरत हो,
पहली नजर में हमने आजमा लिया,
तुम मिलो न मिलो मर्जी है तुम्हारी,
हमने तुमको ख्वाबों में बुला लिया।
गैरों पे करके भरोसा हमसे हकीकत न पूछ,
फुर्सत न मिलने का करते हो बहाना,
इतना तो बता दो क्या कसूर है मेरी जानेजाना।
दमक रहा था चाँद सा मुखड़ा,
आँखों में नशा हल्का हल्का,
आज तो उनका आलम ये था,
जाम हो जैसे छलका छलका।
लड़कियों ने जब जीन्स टीशर्ट पहना,
लड़कों ने पहन लिया शर्म का गहना,
लड़कियां कसती है अब लड़कों पे फब्तियाँ,
और लड़कों ने सीखा चुपके से सहना।
हमें तो जहर भी कबूल है प्यार में,
बस उनका दीदार हो, खड़े हैं इंतिज़ार
में।
रात जितनी ही संगीन होगी,
सुबह उतनी ही रंगीन होगी।
रूप की चाँदनी में नहाई ये तेरी सूरत,
जैसे हो चाँदनी रात में अजंता की मूरत।
दिल में रहे ऐसे जैसे फूलों में खुसबू,
दिलों में धड़कन, नैनों में काजल,
नींद में सपने, बरखा में बहार,
नदी में लहरें, दीया में बाती, रथ में सारथी,
संगीत में सुर, आईने में खुद की तस्वीर।
No comments:
Post a Comment