हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते
- उम्मीद फ़ाज़ली
बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूम
जो तेरे हिज्र में गुज़री वो रात रात हुई
- फ़िराक़ गोरखपुरी
रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़
कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है
- इरफ़ान सिद्दीक़ी
उम्र भर की तल्ख़ बेदारी का सामाँ हो गईं
हाए वो रातें कि जो ख़्वाब-ए-परेशाँ हो गईं
- अख़्तर शीरानी
इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात
- फ़िराक़ गोरखपुरी
रात को रात हो के जाना था
ख़्वाब को ख़्वाब हो के देखते हैं
- अभिषेक शुक्ला
रेत पर रात ज़िंदगी लिक्खी
सुब्ह आ कर मिटा गईं लहरें
- मोहम्मद असदुल्लाह
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है
- तनवीर सिप्रा
ये तन्हा रात ये गहरी फ़ज़ाएँ
उसे ढूँडें कि उस को भूल जाएँ
- अहमद मुश्ताक़
मिरी नज़र में वही मोहनी सी मूरत है
ये रात हिज्र की है फिर भी ख़ूब-सूरत है
- ख़लील-उर-रहमान आज़मी
हिचकियाँ रात दर्द तन्हाई
आ भी जाओ तसल्लियाँ दे दो
- नासिर जौनपुरी
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