तेज भाग रहा है इतना,
जैसे कुदरत पर विजय पाएगा,
मेरे बिना तू कैसे, जिंदगी की ख़ुशियाँ पाएगा,
भीड़ में होकर भी, खुद को तन्हा पाएगा,
जरा थम जा, जरा ठहर जा,
नहीं तो गैर आबाद हो जाएगा ।
नसीब तेरा अपना है, मुझसे तेरा नाता है,
कुदरत हूं मैं, जब कहर मचाऊंगी,
यह नाता भी टूट जाएगा,
फिर हवा, पानी, मिट्टी के बिना,
कैसे जिंदा रह पाएगा,
जरा थम जा, जरा ठहर जा,
नहीं तो गैर आबाद हो जाएगा ।
जब कुदरत ने अपनी महिमा दिखाई,
रफ्तार इंसान की, एकदम ठहर गई,
निर्मल हुआ जल, हवा सफा हो गई,
निसर्ग से जो करेगा प्यार,
वह सिद्धि अवश्य पाएगा ।
जरा थम जा, जरा ठहर जा,
नहीं तो गैर आबाद हो जाएगा ।
कुदरत ने शुरू किया अपना निखार,
वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण,
कम हुआ इनका रुसार,
वो पशु पक्षी, दर्शन जिनके दुर्लभ थे,
उनका भी अब आगाज हुआ,
इन बेजुबानों से प्यार कर,
इनका भी उद्धार हो जाएगा ।
जरा थम जा, जरा ठहर जा,
नहीं तो गैर आबाद हो जाएगा ।
संकल्प ले, थोड़ी मेरी भी परवाह कर,
भागदौड़ छोड़कर, अपने से प्यार कर,
धीरे चल और सब्र कर,
सफलता की हर मंज़िल को,
आसानी से छू पाएगा,
जरा थम जा, जरा ठहर जा,
नहीं तो गैर आबाद हो जाएगा ।।
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