ज़िंदगी आवाज़ है बातें करो बातें करो
- अहमद मुश्ताक़
ख़ुदा की उस के गले में अजीब क़ुदरत है
वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है
- बशीर बद्र
अल्फ़ाज़ परखता रहता है
आवाज़ हमारी तोल कभी
- गुलज़ार
लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे
जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूँ
- बशीर बद्र
बोलते रहना क्यूँकि तुम्हारी बातों से
लफ़्ज़ों का ये बहता दरिया अच्छा लगता है
- अज्ञात
धीमे सुरों में कोई मधुर गीत छेड़िए
ठहरी हुई हवाओं में जादू बिखेरिए
- परवीन शाकिर
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है
- असरार-उल-हक़ मजाज़
तू ने तो हर हाल में सुनना है अब तुझ को 'ज़फ़र'
रौशनी आवाज़ दे या तीरगी आवाज़ दे
- ज़फ़र इक़बाल
देती रही आवाज़ पे आवाज़ ये दुनिया
सर हम ने न फिर ख़ाक की चादर से निकाला
- असलम महमूद
कोई आया तिरी झलक देखी
कोई बोला सुनी तिरी आवाज़
- जोश मलीहाबादी
लय में डूबी हुई मस्ती भरी आवाज़ के साथ
छेड़ दे कोई ग़ज़ल इक नए अंदाज़ के साथ
- अज्ञात
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