Tuesday, April 28, 2020

आवाज शायरी

मौत ख़ामोशी है चुप रहने से चुप लग जाएगी 
ज़िंदगी आवाज़ है बातें करो बातें करो 
- अहमद मुश्ताक़

ख़ुदा की उस के गले में अजीब क़ुदरत है 
वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है 
- बशीर बद्र

अल्फ़ाज़ परखता रहता है
आवाज़ हमारी तोल कभी
- गुलज़ार

लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे 
जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूँ 
- बशीर बद्र

बोलते रहना क्यूँकि तुम्हारी बातों से 
लफ़्ज़ों का ये बहता दरिया अच्छा लगता है 
- अज्ञात
धीमे सुरों में कोई मधुर गीत छेड़िए 
ठहरी हुई हवाओं में जादू बिखेरिए 
- परवीन शाकिर

छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर 
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है 
- असरार-उल-हक़ मजाज़
 
तू ने तो हर हाल में सुनना है अब तुझ को 'ज़फ़र'
रौशनी आवाज़ दे या तीरगी आवाज़ दे
- ज़फ़र इक़बाल

देती रही आवाज़ पे आवाज़ ये दुनिया
सर हम ने न फिर ख़ाक की चादर से निकाला
- असलम महमूद
कोई आया तिरी झलक देखी 
कोई बोला सुनी तिरी आवाज़ 
- जोश मलीहाबादी

लय में डूबी हुई मस्ती भरी आवाज़ के साथ 
छेड़ दे कोई ग़ज़ल इक नए अंदाज़ के साथ 
- अज्ञात

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