Friday, April 3, 2020

कोई भी न मिलता है पहले के जैसे

कोई भी न मिलता है पहले के जैसे
मिलाता नहीं हाथ पहले के जैसे
बरतता है कुछ फासला हर किसी से
नहीं खुल के हँसता है पहले के जैसे


नहीं कोई कलकल
नहीं कोई छलछल
खबर मौत की चैनलों पे है हरपल
खबरों पे खबरों की कैसी ये तह है
ये कैसा समय है ये कैसा समय है!

 उतरने लगी दूर किरणों की टोली
चहकने लगी पास चिड़ियों की बोली
फिज़ॉं में ये कैसी हवा चल रही है
सुबह सुंदरी रच रही ज्यों रंगोली

मगर खामुशी बोलती हर जगह है
ये कैसा समय है ये कैसा समय है !


सुबह सैर पर दीखता है न कोई
किसी डर से अब छींकता है न कोई
दबे पॉंव जैसे निकलता है घर से
किसी शख्स पर अब यकीं है न कोई

कोरोना बना आज इसकी वजह है।
ये कैसा समय है ये कैसा समय है !

कोई भी न मिलता है पहले के जैसे
मिलाता नहीं हाथ पहले के जैसे
बरतता है कुछ फासला हर किसी से
नहीं खुल के हँसता है पहले के जैसे

हुई अजनबी आज हर एक शय है
ये कैसा समय है ये कैसा समय है !
है दुनिया में पूरी मची है तबाही
न कोई दुआ है न कोई दवाई
लगी अस्पतालों में लाशों की ढेरी
कोरोना ने कैसी कयामत है ढाई

नियति की महाकाल से ज्यों कलह है
ये कैसा समय है ये कैसा समय है !

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