अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
- फ़िराक़ गोरखपुरी
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
शीशे के महल बना रहा हूँ
- क़तील शिफ़ाई
अगर बदल न दिया आदमी ने दुनिया को
तो जान लो कि यहाँ आदमी की ख़ैर नहीं
- फ़िराक़ गोरखपुरी
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