Thursday, January 7, 2021

क्यों मानें सपना कोई साकार नहीं होता

फूलों का अपना कोई परिवार नहीं होता 
खुशबू का अपना कोई घर-द्वार नहीं होता 

हम गुज़रे कल की आंखों का सपना ही तो हैं 
क्यों मानें सपना कोई साकार नहीं होता 

इस दुनिया में अच्छे लोगों का ही तो बहुमत है 
ऐसा अगर न होता ये संसार नहीं होता 

कितने ही अच्छे हों काग़ज़ पानी के रिश्ते 
काग़ज़ की नावों से दरिया पार नहीं होता 

हिम्मत हारे तो सब कुछ नामुमकिन लगता है 
हिम्मत कर लें तो कुछ भी दुश्वार नहीं होता 

वे दीवारें घर जैसा सम्मान नहीं पातीं 
जिनमें कोई खिड़की कोई द्वार नहीं होता 

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