Saturday, January 23, 2021

तेरा वादा तो नहीं हूं जो बदल जाऊंगा

मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊंगा
तेरा वादा तो नहीं हूं जो बदल जाऊंगा

सोज़ भर दो मिरे सपने में ग़म-ए-उल्फ़त का
मैं कोई मोम नहीं हूं जो पिघल जाऊंगा

दर्द कहता है ये घबरा के शब-ए-फ़ुर्क़त में
आह बन कर तिरे पहलू से निकल जाऊंगा

मुझ को समझाओ न 'साहिर' मैं इक दिन ख़ुद ही
ठोकरें खा के मोहब्बत में संभल जाऊंगा

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