झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
आरज़ू लखनवी
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है
बशीर बद्र
मैंने अपनी ख़ुश्क आंखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
राहत इंदौरी
हम इंतेज़ार करें हम को इतनी ताब नहीं
पिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं
नूह नारवी
ये पानी ख़ामुशी से बह रहा है
इसे देखें कि इस में डूब जाएं
अहमद मुश्ताक़
हंसता पानी रोता पानी
मुझ को आवाज़ें देता था
नासिर काज़मी
हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर
पानी में रौशनी को उतरते हुए भी देख
मुहम्मद अल्वी
क़िस्से से तेरे मेरी कहानी से ज़्यादा
पानी में है क्या और भी पानी से ज़्यादा
अबरार अहमद
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