Wednesday, January 6, 2021

हम अधूरे अधूरा हमारा सृजन

हम अधूरे अधूरा हमारा सृजन, 

पूर्ण तो एक बस प्रेम ही है यहां

कांच से ही न नजरे मिलाती रहो, 

बिम्ब को मूक प्रतिबिम्ब छल जायेगा

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