एक लम्हा ज़िंदगी भर की कमाई खा गया.
इस दिल को अगर तेरा एहसास नहीं होता,
तू दूर भी रह कर के यूँ पास नहीं होता,
इस दिल ने तेरी चाहत कुछ ऐसे बसाली है,
एक लम्हा भी तुझ बिन कुछ खास नहीं होता!
वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है.
तारीख़ की नज़रों ने ये जब्र भी देखा है।
लम्हों ने ख़ता की थी ,सदियों ने सज़ा पाई।।
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